कृष्ण को क्यों सबसे प्रिय है बाँसुरी और उनके जन्म, बचपन की अनोखी लीलाएं तथा महत्त्व

कृष्ण, विष्णु के के सभी अवतारों में से सबसे प्रमुख, लोकप्रिय एवं शक्तिशाली हैं | शिव, विष्णु तथा ब्रह्मा पर इस सृष्टि को चलाने का दायित्व है | इसीलिए यह तीनो त्रिदेव कहलाते हैं | कृष्ण का चित्रण हर जगह बहुत ही सुंदर भगवान के रूप में किया गया है | राधा को कृष्ण की प्रेमिका के रूप में भी हर जगह दर्शाया गया है इसलिए हमेशा “राधे कृष्ण” बोला जाता है |

बहुत बार यह पुछा जाता है कि कृष्ण किसके देवता हैं, कृष्ण को प्रेम, कोमलता और करुणा के देवता माना गया है । हिंदू पौराणिक कथाओं में उन्हें एक हाजिर जवाब, एक प्रेमी, एक सार्वभौमिक सर्वोच्च प्राणी और बच्चे की तरह भगवान के रूप में चित्रित किया गया है। कृष्ण आराधना से संबंधित चालीसा, आरती, मंत्र एवं अन्य सभी आप यहाँ नीचे पढ़ सकते हैं तथा कृष्ण के जीवन से जुड़े कुछ रोचक प्रसंग भी यहाँ बताए गए हैं |

1. aarti kunj bihai ki

कृष्ण आरती के नियमित करने से मन को शांति मिलती है और आपके जीवन से सभी बुराई दूर होती हैं | आपके घर में धन धान्य की वृद्धि होती है |

2. krishna chalisa

कृष्ण चालीसा का पाठ करने से आत्मा सारे दोषों से मुक्त हो जाती है। कलयुग के सारे पापों से व्यक्ति को मुक्ति मिलती है और आपको हर प्रकार के सुख प्राप्त होते  है।

3. krishna ashtakam

जो प्रातः काल कृष्ण अष्टकम का पाठ करता है, उसे अपार पुण्य की प्राप्ति होती है तथा उसके जीवन में कष्टों का कोई स्थान नहीं रहता |

4. shri hari stotram

श्री हरि स्तोत्रम का जाप करने से सुख और शांति की प्राप्ति होती हैं और यह दुखों से मुक्त करता है। इसके प्रताप से सभी नकारात्मक ऊर्जाएं नष्ट हो जाती हैं |

5. banke bihari chalisa

भगवान श्री बाँके बिहारी चालीसा का पाठ करने से सभी को शुभ फलों की प्राप्ति होती है। जो भी व्यक्ति प्रभु की पूजा-अर्चना साफ़ हृदय से करता है उसका चरित्र निर्मल हो जाता है। ऐसा माना जाता है कि श्री बाँके बिहारी चालीसा का पाठ करने से भगवान श्री बाँके बिहारी उस मनुष्य के चित्त में विराजमान होकर उसको  सारे पापों से मुक्त कर देते हैं।

6. विष्णु चालीसा का पाठ

विष्णु चालीसा का पाठ करने से घर में सुख समृद्धि बनी रहती है और आपके किसी भी कार्य में रुकावट नहीं आती है |

7. jagannath aarti

जगन्नाथ जी की यात्रा का उत्सव उड़ीसा में बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है | इनकी आरती करने से आपकी सभी मनोकामना पूरी होती है | 

8. jagannath ashtakam

भगवान जगन्नाथ की महिमा अपरमपार है | इनके अष्टकम का पाठ करने से आप सभी पापों से मुक्त हो जाते है | 

कृष्ण का चित्रण तथा प्रसंग

तो चलिए जानते हैं कृष्ण के जन्म की लीलाएं तथा उनसे जुड़े कुछ गूढ़ रहस्य |

कृष्ण की जन्म कथा

द्वापरयुग की बात है, जब धरती पर राक्षसों ने हाहाकार मचा रखा था | इस वजह से धरती माता बहुत परेशान थी | इस परेशानी के कारण धरती माता ने गाय का रूप धारण किया और वह देवताओं के पास गई | उन्होंने कहा कि मेरी रक्षा करो और  क्योंकि राक्षसों का कहर दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा हैं | इस पर देवताओं ने ब्रह्मा जी के पास जाने का निर्णय लिया और पहुंचकर ब्रह्मा जी से विनती की पृथ्वी पर दैत्यों का भार कम करें | ब्रह्मा जी ने कहा इसका उपाय सिर्फ विष्णु जी के पास हैं आप उन्ही के पास जाइए | 

ब्रह्मा जी का कहा मानकर  धरती माता और सभी देव गण भगवान विष्णु के पास पहुंचे | और अपनी सारी कहानी सुनाई | विष्णु जी ने कहा कि  आप परेशान ना हो | मै  बहुत जल्दी पृथ्वी पर मनुष्य रूप में अवतार लूंगा और पाप को खत्म करूंगा |

मथुरा के राजा उग्रसेन थे | वे बहुत ही दयालु थे | उनका बेटा कंस था जो कि बहुत अत्याचारी था | उसने  अपने बल से अपने पिता राजा उग्रसेन को गद्दी से उतार कर जेल में डाल दिया और खुद राजा बन गया | देवकी कंस बहन थी जिसे वह बहुत प्यार करता था |  

जब देवकी बड़ी हुई तो उसकी शादी राजा शूरसेन के पुत्र वासुदेव के साथ हुई | जब कास अपनी बहन को विदा करने लगा तभी आकाशवाणी हुई कि देवकी की 8वीं संतान उसका काल बनेगी | इतना सुनते ही कंस बहुत परेशान हुआ उसने देवकी और वासुदेव को जेल में डाल दिया | 

इसके बाद वह सोचने लगा कौन सी संतान उसका वध करेगी | इस असमंजस के कारण उसने देवकी की सभी संतानों को मारने का निर्णय लिया। उसने देवकी की छह  संतानों को  शिला पर रखकर मार डाला | 

 7वीं संतान के रूप में प्रभु की इच्छा से शेषनाग जन्म लेने वाले थे | तब भगवान ने देवकी का गर्भपात करवा दिया | साथ ही उस संतान को वासुदेव की पहली पत्नी रोहिणी के गर्भ में पहुंचा दिया | बाद में इन्हे श्री कृष्ण के बड़े भाई बलराम के रूप में जाना गया।

भादो के महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में देवकी की 8वीं संतान ने जन्म लिया। उनके जन्म लेते ही सारे सैनिक सो गए और देवकी और वासुदेव की हथकड़ियां खुल गई और जेल के दरवाजे भी खुल गए |  उस समय आकाशवाणी हुई कि अपने पुत्र को गोकुल में नंदबाबा के यहां छोड़ आओ | 

उन्होंने श्री कृष्ण को टोकरी में लिटाया और नदी के पार करके गोकुल में छोड़ आए और वहां सोई हुई बेटी को जेल में ले आये | वासुदेव के वापस आते ही जेल के दरवाजे आपने आप बंद हो गए और सभी कुछ पहले जैसा ही हो गया |  

होश में आते ही  सैनिकों ने देवकी की 8वीं संतान की खबर कंस को दी | कंस के आते ही देवकी की संतान को हाथ में लिया और मारने के लिए हाथ उठाया , वह हवा में उड़ गई और बोली तुझे मारने वाला  गोकुल में अवतार ले चुका हैं अब तेरा अंत निश्चित है | 

 इसके बाद श्री कृष्ण को मारने के लिए कंस ने कई राक्षसों को गोकुल भेजा, लेकिन कोई उनका बाल भी बांका नहीं कर पाया। अंत में उन्होंने कंस का अंत किया और मथुरा को उसके कहर से आजादी दिलाई।

कृष्ण को क्यों प्यारी है बांसुरी 

भगवान श्री कृष्ण बांसुरी इसलिए प्यारी हैं क्योंकि उसके अंदर कोई गांठ नहीं है | प्रभु इससे यह संकेत देते हैं कि आप अपने मन में देष और बदले के भावना  ना रखो | और जब भी बांसुरी बजती हैं तो वह बहुत ही मधुर लगती हैं जिसका अर्थ जब भी बोलो मीठा बोलो | इसी कारण प्रभु को बांसुरी बहुत पसंद हैं |  

कृष्ण को क्यों प्यारी है माखन मिसरी

प्रभु को माखन मिश्री इसलिए पसंद हैं जब इसे माखन में मिलाया जाता है, तो उसकी मिठास माखन के कण-कण में घुल जाती है मिश्री युक्त माखन जीवन और व्यवहार में प्रेम को अपनाने का संदेश देता है | 

गले में वैजयंती माला

वैजयंती माला, जो कमल के बीजों से बनी हैं साथ ही श्री कृष्ण को बहुत ही पसंद हैं | क्योंकि कमल के बीज टूटते नहीं और उनकी चमक बरकरार रहती हैं इसका मतलब है, जब तक जीवन है, तब तक ऐसे रहो जिससे तुम्हें देखकर कोई दुखी न हो। 

कृष्ण सबसे शक्तिशाली अवतार

श्री कृष्ण विष्णु के सबसे शक्तिशाली अवतारों में से एक है | हिन्दू देवताओं में लोगों के दिल के सबसे नजदीक हैं | कृष्ण बहुत ही सुंदर हैं |

कृष्ण जन्म का समय 

प्रभु कृष्ण का जन्म कृष्ण पक्ष के 8 वें दिन में अंधेरे पखवाड़े की मध्य रात्रि में हुआ था | कृष्ण के जन्मदिन को जन्माष्टमी कहा जाता है | ये हिन्दुओं का पर्व हैं, जो पूरे विश्व में मनाया जाता हैं | कृष्ण का जन्म अपने आप में एक दिव्य घटना है | 

कृष्ण के बचपन के दिन 

कृष्ण अपने बचपन के दिनों में बांसुरी बजा कर और नृत्य करके अपने मित्रों और ग्वालों को प्रसन्न किया करते थे | वह गोकुल में 3 साल 4 महीने तक रहे | वह बाल रूप में वे बहुत  शरारती थे और माखन चुराकर खाया करते थे |  कुछ समय गोकुल अपनी लीला की  फिर वे वृंदावन चले  गए | एक लोक कथा के अनुसार इंद्र द्वारा हुई मूसलाधार बारिश से बचाने के लिए कृष्ण ने गोर्वधन पर्वत को अपनी अंगुली में उठा लिया और ग्राम वासियों की रक्षा की |

कृष्णा की शिक्षा 

उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी की और 64 दिनों में अवंतीपुरा में अपने गुरु संदीपनी के अधीन 64 विज्ञान और कला में महारत हासिल की। गुरुदक्षिणा के रूप में, उसने संदीपनी के मृत पुत्र को उसे वापस कर दिया। वह 28 वर्ष की आयु तक मथुरा में रहे।

महाभारत के नायक कृष्ण

कई वर्षों तक, कृष्ण पांडव और कौरव राजाओं के साथ रहे जिन्होंने हस्तिनापुर पर शासन किया। जब पांडवों और कौरवों के बीच युद्ध छिड़ने वाला था, कृष्ण को मध्यस्थता के लिए भेजा गया लेकिन असफल रहे। कृष्ण युद्ध में पांडवों की सेना में शामिल हुए और अर्जुन के सारथी बने | युद्ध के बीच में, कृष्ण ने अपनी प्रसिद्ध सलाह दी, जो भगवद गीता की जड़ बनाती है, जिसमें उन्होंने ‘निष्काम कर्म’ या बिना आसक्ति के कर्म के सिद्धांत को सामने रखा।

कृष्ण होने का महत्व

पीढ़ियों से कृष्ण कुछ लोगों के लिए एक पहेली रहे हैं, लेकिन लाखों लोगों के लिए भगवान, जो उनका नाम सुनते ही आनंदित हो जाते हैं। लोग कृष्ण को अपना नायक, रक्षक, शिक्षक और मित्र सभी किसी न किसी रूप में मानते हैं। कृष्ण ने भारतीय विचार, जीवन और संस्कृति को असंख्य तरीकों से प्रभावित किया है।

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