नर्मदा अष्टकम – सबिंदु सिन्धु सुस्खल तरंग भंग रंजितम – Narmada Ashtakam
नर्मदा अष्टकम सबिंदु सिन्धु सुस्खल तरंग भंग रंजितम द्विषत्सु पाप जात जात कारि वारि संयुतम कृतान्त दूत काल भुत भीति हारि वर्मदे त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे ॥ त्वदम्बु …
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