Vishnu Chalisa Path | एकादशी के दिन जरूर पढ़े विष्णु चालीसा

विष्णु जी का दिन वीरवार होता है | विष्णु जी सर्वशक्तिमान है और जब-जब पृथ्वी पर पाप बढ़ा है तब-तब विष्णु जी ने मनुष्य के रूप में अवतार लिया है | इस दिन आप विष्णु चालीसा का पाठ करेंगे तो आपको विशेष फल की प्राप्ति होगी | यदि जातक घर में नियमित रूप से भगवान विष्णु का चालीसा  पढ़ते है तो आपके घर में धन धान्य वृद्धि होती हैं | इस चालीसा करने से आपका मन हमेशा प्रसन्न रहता है और आपके सभी कार्य पूर्ण होते हैं | विष्णु जी कृपा से आपको ज्ञान की प्राप्ति होती हैं | इस पाठ को करने से आपकी सभी मनोकामनाए पूरी होती हैं |

यदि आप सम्पूर्ण विष्णु चालीसा पढ़ना चाहते है तो आप यहाँ पढ़ सकते हैं | साथ ही साथ आप विष्णु चालीसा pdf को अपने फ़ोन तथा कंप्यूटर पर भी डाउनलोड कर सकते हैं।

विष्णु चालीसा हिंदी में

॥ दोहा॥

विष्णु सुनिए विनय सेवक की चितलाय ।

कीरत कुछ वर्णन करूं दीजै ज्ञान बताय ।

॥ चौपाई ॥

नमो विष्णु भगवान खरारी ।

कष्ट नशावन अखिल बिहारी ॥

प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी ।

त्रिभुवन फैल रही उजियारी ॥

सुन्दर रूप मनोहर सूरत ।

सरल स्वभाव मोहनी मूरत ॥

तन पर पीतांबर अति सोहत ।

बैजन्ती माला मन मोहत ॥

शंख चक्र कर गदा बिराजे ।

देखत दैत्य असुर दल भाजे ॥

सत्य धर्म मद लोभ न गाजे ।

काम क्रोध मद लोभ न छाजे ॥

संतभक्त सज्जन मनरंजन ।

दनुज असुर दुष्टन दल गंजन ॥

सुख उपजाय कष्ट सब भंजन ।

दोष मिटाय करत जन सज्जन ॥

पाप काट भव सिंधु उतारण ।

कष्ट नाशकर भक्त उबारण ॥

करत अनेक रूप प्रभु धारण ।

केवल आप भक्ति के कारण ॥

धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा ।

तब तुम रूप राम का धारा ॥

भार उतार असुर दल मारा ।

रावण आदिक को संहारा ॥

आप वराह रूप बनाया ।

हरण्याक्ष को मार गिराया ॥

धर मत्स्य तन सिंधु बनाया ।

चौदह रतनन को निकलाया ॥

अमिलख असुरन द्वंद मचाया ।

रूप मोहनी आप दिखाया ॥

देवन को अमृत पान कराया ।

असुरन को छवि से बहलाया ॥

कूर्म रूप धर सिंधु मझाया ।

मंद्राचल गिरि तुरत उठाया ॥

शंकर का तुम फन्द छुड़ाया ।

भस्मासुर को रूप दिखाया ॥

वेदन को जब असुर डुबाया ।

कर प्रबंध उन्हें ढूंढवाया ॥

मोहित बनकर खलहि नचाया ।

उसही कर से भस्म कराया ॥

असुर जलंधर अति बलदाई ।

शंकर से उन कीन्ह लडाई ॥

हार पार शिव सकल बनाई ।

कीन सती से छल खल जाई ॥

सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी ।

बतलाई सब विपत कहानी ॥

तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी ।

वृन्दा की सब सुरति भुलानी ॥

देखत तीन दनुज शैतानी ।

वृन्दा आय तुम्हें लपटानी ॥

हो स्पर्श धर्म क्षति मानी ।

हना असुर उर शिव शैतानी ॥

तुमने ध्रुव प्रहलाद उबारे ।

हिरणाकुश आदिक खल मारे ॥

गणिका और अजामिल तारे ।

बहुत भक्त भव सिन्धु उतारे ॥

हरहु सकल संताप हमारे ।

कृपा करहु हरि सिरजन हारे ॥

देखहुं मैं निज दरश तुम्हारे ।

दीन बन्धु भक्तन हितकारे ॥

चहत आपका सेवक दर्शन ।

करहु दया अपनी मधुसूदन ॥

जानूं नहीं योग्य जप पूजन ।

होय यज्ञ स्तुति अनुमोदन ॥

शीलदया सन्तोष सुलक्षण ।

विदित नहीं व्रतबोध विलक्षण ॥

करहुं आपका किस विधि पूजन ।

कुमति विलोक होत दुख भीषण ॥

करहुं प्रणाम कौन विधिसुमिरण ।

कौन भांति मैं करहु समर्पण ॥

सुर मुनि करत सदा सेवकाई ।

हर्षित रहत परम गति पाई ॥

दीन दुखिन पर सदा सहाई ।

निज जन जान लेव अपनाई ॥

पाप दोष संताप नशाओ ।

भव-बंधन से मुक्त कराओ ॥

सुख संपत्ति दे सुख उपजाओ ।

निज चरनन का दास बनाओ ॥

निगम सदा ये विनय सुनावै ।

पढ़ै सुनै सो जन सुख पावै ॥

Vishnu Chalisa Path video

credit : T- series

विष्णु चालीसा पढ़ने के फायदे

  • विष्णु चालीसा का पाठ नियमित रूप से करने पर घर में हमेशा खुशी का माहौल रहता है | 
  • यदि आप नित्य इस पाठ को करते हैं तो आपके पास धन धान्य की कभी कमी नहीं होगी | 
  • इस पाठ को करने से आपको किसी भी प्रकार की मानसिक परेशानी नहीं होंगी | 
  • विष्णु चालीसा का पाठ करने वाला व्यक्ति हर सुख का भागीदार बनता है उसे कभी भी किसी चीज की कमी नही होती है।
  • यदि किसी के विवाह में बाधा आ रही हैं तो वह पीले कपड़े पहनकर विष्णु चालीसा का पाठ करे तो उसकी बाधा दूर हो जाती हैं | 
  • यदि आप सच्चे मन से विष्णु चालीसा का पाठ करते हैं तो आपकी हर इच्छा पूरी होती हैं |

Vishnu Chalisa Path Pdf

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