अंजनी माता की जन्म कथा तथा उन्हें कैसे मिला श्राप

अंजनी माता हनुमान जी की माता है | ऐसा कहा जाता है की यदि आप हनुमान जी के साथ साथ अंजनी माता की भी आराधना करते हैं तो आपको हनुमान की विशेष कृपा तथा सानिध्य प्राप्त होता है, और आप अपार धन, सम्पदा, शौर्य के धारक बनते हैं | हनुमान जी के सभी मंदिरों में अंजनी माता भी विराजमान होती हैं जो की हनुमान जी का अपनी माता के प्रति अनन्य प्रेम को दिखाता है |

हम इस लेख में अंजनी माता से संबंधित विभिन्न पहलुओं के बारे में तथा उनकी आराधना में सहायक प्रार्थनाओं के बारे में बात करेंगे ।   

1. anjani mata chalisa

अंजनी माता चालीसा का पाठ करने से आपके जीवन में बहुत सकारात्मक परिवर्तन तथा खुशहाली आती है | आप स्वस्थ, धन धान्य  से परिपूर्ण और समृद्ध जीवन व्यतीत करते हैं |

2. anjani mata aarti

अंजनी माता की आरती करने से माँ की कृपा प्राप्त होती हैं | माता अपने आशीर्वाद से सभी भक्तों को बाधाओं से दूर रखती हैं और जातक का जीवन सुखमय रहता है |

अंजनी माता की जन्म कथा

तो चलिए प्रारम्भ करते हैं अंजनी माता की जन्म कथा, जिस प्रकार हनुमान जी के नटखटपन के कारन उन्हें बचपन में अपनी शक्तियां भूल जाने का श्राप मिला था उसी प्रकार माता अंजनी को भी इसी कारन श्राप मिला जिससे उन्हें एक वानर कुल में जन्म लेना पड़ा | 

बैठक का आयोजन 

एक बार ऋषि दुर्वासा ने स्वर्ग में एक औपचारिक बैठक का आयोजन किया जिसमें इंद्रदेव भी भाग ले रहे थे | उस समय हर कोई सभासद गहन मंथन में डूबा हुआ था। परन्तु वहां एक पुंजिकस्थला नाम की अप्सरा अनजाने में उस बैठक में विघ्न पैदा कर रही थी। 

अप्सरा को श्राप मिलना

तब ऋषि दुर्वासा ने उस अप्सरा को ऐसा न करने के लिए कहा परन्तु ऋषि की कही गई बातों का उस अप्सरा पर कोई असर न पड़ा और उसने ऋषि की बातों को अनसुना कर दिया। तब ऋषि दुर्वासा ने क्रोध में आकर उस अप्सरा अर्थात अंजनी माता को श्राप देते हुए कहा कि तुमने यहाँ इस सभा में एक बंदर की तरह बर्ताव किया है। इसलिए तुम उसी प्रकार एक बंदरिया बन जाओ। तब ऋषि दुर्वासा के शाप को सुनकर अप्सरा को अपनी गलती का एहसास हुआ और वो ऋषि दुर्वासा से रोते हुए क्षमा मांगने लगी।

अप्सरा द्वारा क्षमा मांगना

अप्सरा ने ऋषि दुर्वासा से बहुत क्षमा याचना की और कहा कि मैं आप सभी को परेशान करने के लिए यह काम नहीं कर रही थी। यदि मुझे इस बात का तनिक भी अंदाजा होता कि मेरी ऐसी मूर्खता से ऋषिवर इतने क्रोधित हो उठेंगे तो मैं ऐसा कदापि नहीं करती । तत्पश्चात ऋषि दुर्वासा ने उसकी विनम्र विनती को सुनकर अप्सरा से कहा कि हे प्रिये तुम रो मत।

ऋषि दुर्वासा की भविष्यवाणी 

अगले जन्म में तुम एक वानर कुल में जन्म लोगी और तुम्हारा विवाह भी वानर भगवान से ही होगा । तुम्हारा पुत्र भी वानर ही होगा जो की बहुत ही शक्तिशाली होगा और भगवान श्री राम का प्रिय भक्त होगा। यह सुनकर अप्सरा पुंजिकस्थला ने ऋषि दुर्वासा को नमस्कार करते हुए दिए गए श्राप को स्वीकार कर लिया ।

अंजनी माता का जन्म

तब अप्सरा पुंजिकस्थला का जन्म माता अंजना के रूप में वानर (बंदर) भगवान विराज के यहां हुआ। जब माता अंजना विवाह योग्य हो गई तब उनकी शादी वानर भगवान केसरी से हुई | तत्पश्चात माता अंजना अपने पति के साथ सुखी वैवाहिक जीवन व्यतीत करने लगी।

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