नवरात्रि का आज नौवां दिन है। आज मां दुर्गा के नवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है । मान्यता है कि माता सिद्धिदात्री की पूजा करने वाले को सभी सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही उसे ज्ञान, बुद्धि, धन इत्यादि सभी सुख-सुविधाओं की भी प्राप्ति होती है। इस दिन हवन व आरती करके इस विशेष पर्व का समापन करते हैं।
जय सिद्धिदात्री माँ तू सिद्धि की दाता।
तु भक्तों की रक्षक तू दासों की माता॥
तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि।
तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि॥
कठिन काम सिद्ध करती हो तुम।
जभी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम॥
तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है।
तू जगदंबे दाती तू सर्व सिद्धि है॥
रविवार को तेरा सुमिरन करे जो।
तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो॥
तू सब काज उसके करती है पूरे।
कभी काम उसके रहे ना अधूरे॥
तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया।
रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया॥
सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली।
जो है तेरे दर का ही अंबे सवाली॥
हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा।
महा नंदा मंदिर में है वास तेरा॥
मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता।
भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता॥
मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि क्या है?
- नवरात्रि का आखरी नौवा दिन होता है इस दिन पूजन हवन किया जाता है।
- इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि करने के पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण करें और फिर मां का ध्यान करके उन्हें प्रणाम करें।
- फिर चौकी पर मां की तस्वीर रखें और उन्हें गंगाजल से स्नान कराएं।
- मां सिद्धिदात्री को हलवा पूरी सब्जी खीर काले चने फल और नारियल का भोग अवश्य लगाएं।
- इसके बाद कन्या पूजन करवाना चाहिए।
- कुछ जगहों पर अष्टमी के दिन कन्या पूजन होता है वहीं कुछ जगहों पर नवमी के दिन कन्या पूजन करवाया जाता है।
- सभी कन्याओं को अपने सामर्थ्य अनुसार भेंट दे।
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