सरस्वती चालीसा पढ़ने के फायदे और करने की सही विधि

श्री सरस्वती चालीसा को शांत मन के साथ, अपने आप को माता के चरणों में समर्पित करते हुए पढ़ने से निश्चित ही धन धान्य में बढ़ोतरी होती है तथा सारे कष्ट दूर हो जाते हैं | यदि आप सम्पूर्ण सरस्वती चालीसा हिंदी में पढ़ना चाहते है तो आप यहाँ पढ़ सकते हैं |

यदि आप गंगा माँ का चालीसा भी साथ पढ़ते हो तो आप पर माँ गंगे की भी कृपा बनी रहती है |

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।। दोहा ।।

जनक जननि पदम दुरज, निजब मस्तक पर धारि।

बन्दौं मातु सरस्वती, बुद्धि बल दे दातारि।।

पूर्ण जगत में व्याप्त तव, महिमा अमित अनंतु।

दुष्टजनों के पाप को, मातु तुही अब हन्तु।।

।। चौपाई ।।

जय श्रीसकल बुद्धि बलरासी।

जय सर्वज्ञ अमर अविनाशी।।

जय जय जय वीणाकर धारी।

करती सदा सुहंस सवारी।।

रूप चतुर्भुज धारी माता।

सकल विश्व अन्दर विख्याता।।

जग में पाप बुद्धि जब होती।

तबही धर्म की फीकी ज्योति।।

तबहि मातु का निज अवतारा।

पाप हीन करती महितारा।।

बाल्मीकि जी था हत्यारा।

तव प्रसाद जानै संसारा।।

रामचरित जो रचे बनाई ।

आदि कवि की पदवी पाई।।

कालीदास जो भये विख्याता ।

तेरी कृपा दृष्टि से माता।।

तुलसी सूर आदि विद्वाना ।

भये जो और ज्ञानी नाना।।

तिन्ह न और रहेउ अवलम्बा ।

केवल कृपा आपकी अम्बा।।

करहु कृपा सोई मातु भवानी।

दुखित दीन निज दासहि जानी।।

पुत्र  करई अपराध बहूता ।

तेहि न धरई चित माता।।

राखु लाज जननि अब मेरी।

विनय करऊ भांति बहुतेरी।।

मैं अनाथ तेरी अवलंबा ।

कृपा करउ जय जय जगदंबा।।

मधुकैटभ जो अति बलवाना ।

बाहुयुद्ध विष्णु से ठाना।।

समर हजार पांच में घोरा।

फिर भी मुख उनसे नहीं मोरा।।

मातु सहाय कीन्ह तेहि काला।

बुद्धि विपरीत भई खलहाला।।

तेहि ते मृत्यु भई खल केरी ।

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पुरवहु मातु मनोरथ मेरी।।

चण्ड मुण्ड जो थे विख्याता ।

क्षण महु संहारे उन माता।।

रक्त बीज से समरथ पापी ।

सुर मुनि हृदय धरा सब कांपी।।

काटेउ सिर जिम कदली खम्बा।

बार बार बिनवऊं जगदंबा।।

जगप्रसिद्ध जो शुंभ निशुंभा।

क्षण में बांधे ताहि तूं अम्बा।।

भरत-मातु बुद्धि फेरेऊ जाई ।

रामचन्द्र बनवास कराई।।

एहि विधि रावन वध तू कीन्हा।

सुर नर मुनि सबको सुख दीन्हा।।

को समरथ तव यश गुण गाना।

निगम अनादि अनंत बखाना।।

विष्णु रूद्र जस कहिन मारी।

जिनकी हो तुम रक्षाकारी।।

रक्त दन्तिका और शताक्षी।

नाम अपार है दानव भक्षी।।

दुर्गम काज धरा पर कीन्हा।

दुर्गा नाम सकल जग लीन्हा।।

दुर्ग आदि हरनी तू माता ।

कृपा करहु जब जब सुखदाता।।

नृप  कोपित को मारन चाहे ।

कानन  में घेरे  मृग  नाहै।।

सागर मध्य पोत के भंजे ।

अति तूफान नहिं कोऊ संगे।।

भूत प्रेत बाधा या दु:ख में।

हो दरिद्र अथवा संकट में।।

नाम जपे मंगल सब होई।

संशय इसमें करई न कोई।।

पुत्रहीन जो आतुर भाई ।

सबै छांड़ि पूजें एहि भाई।।

करै पाठ नित यह चालीसा ।

होय पुत्र सुन्दर गुण ईसा।।

धूपादिक नैवेद्य चढ़ावै।

संकट रहित अवश्य हो जावै।।

भक्ति मातु की करैं हमेशा।

निकट न आवै ताहि कलेशा।।

बंदी  पाठ  करें  सत  बारा ।

बंदी  पाश  दूर  हो  सारा।।

रामसागर बांधि हेतु भवानी।

कीजे कृपा दास निज जानी।।

।। दोहा ।।

मातु सूर्य कान्ति तव, अंधकार मम रूप।

डूबन से रक्षा कार्हु परूं न मैं भव कूप।।

बलबुद्धि विद्या देहु मोहि, सुनहु सरस्वती मातु।

रामसागर अधम को आश्रय तू ही दे दातु।।

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सरस्वती चालीसा पढ़ने के क्या फायदे हैं ?

सरस्वती चालीसा का पाठ करने के अनगिनत लाभ हैं जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:-

  1. नियमित तौर पर सरस्वती चालीसा का पाठ करने से भक्तों को ज्ञान और बुद्धि की प्राप्ति होती है, इसलिए विद्यार्थियों को सरस्वती चालीसा का पाठ करने की सलाह दी जाती है | 
  2. सरस्वती चालीसा का पाठ करने से माँ अपने भक्तोओं को किसी भी प्रकार के भौतिक सुखों से वंचित नहीं रखती | यदि भक्त सफ़ेद वस्त्र, मोती तथा पुष्प अर्पण करके माता सरस्वती की पूजा करता है तो माँ सरस्वती बहुत प्रसन्न होती है और भक्तों का उद्धार करती हैं |
  3. सरस्वती चालीसा का पाठ करने वाला ज्ञानी होता है और विद्वान बनता है तथा माँ की कृपा से पाप और नकारात्मक विचारों से भक्त दूर रहते हैं और ज्ञान और धन की प्राप्ति भी करते हैं | 
  4. सरस्वती माँ की उपासना करने वाले बिना किसी कष्ट के सुख और शांति से अपना जीवन व्यतीत करते हैं |

मां सरस्वती की पूजा करने की सही विधि क्या है ?

सूर्योदय के समय नित्यक्रिया तथा स्नान आदि से निवृत होकर अपने पूजा घर की साफ सफाई करें तत्पश्चात सरस्वती माता की तस्वीर के सामने बैठ जाएं । अब इसके बाद पूजा घर में कलश स्थापित करें और गणेश जी की विधिवत पूजा करें | 

सरस्वती माता की पूजा करने से पहले उन्हें स्नान कराएं | अब आप माता को फूल, सिन्दूर तथा अन्य श्रृंगार की वस्तुएं अर्पित करें  साथ देवी सरस्वती को श्वेत वस्त्र पहनाएं।

बसंत पंचमी के दिन सरस्वती माता को कैसे प्रसन्न करें ?

बसंत पंचमी के दिन सरस्वती माता की विधिपूर्वक पूजा अर्चना करें तथा माँ के चरणों में गुलाल अर्पित करें इस दिन आप माँ सरस्वती को मालपुए और खीर का भोग अवश्य लगाएं | ऐसा करने से सरस्वती माता बहुत प्रसन्न होती हैं |

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