कुबेर चालीसा करने के लाभ और पूजा विधि

कुबेर चालीसा को अपने आप को प्रभु के चरणों में समर्पित करते हुए पढ़ने से निश्चित ही धन धान्य और सुख समृद्धि में बढ़ोतरी होती है और आपके जीवन की सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं | साथ ही आप यदि लक्ष्मी जी की आरती भी करते है तो लक्ष्मी माँ आप पर धन की वर्षा करेगी | यदि आप सम्पूर्ण कुबेर चालीसा हिंदी में पढ़ना चाहते है तो आप यहाँ पढ़ सकते हैं |

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॥ दोहा ॥

जैसे अटल हिमालय, और जैसे अडिग सुमेर ।

ऐसे ही स्वर्ग द्वार पे, अविचल खडे कुबेर ॥

विघ्न हरण मंगल करण, सुनो शरणागत की टेर ।

भक्त हेतु वितरण करो, धन माया के ढेर ॥

॥ चौपाई ॥

जै जै जै श्री कुबेर भण्डारी ।

धन माया के तुम अधिकारी ॥

तप तेज पुंज निर्भय भय हारी ।

पवन वेग सम सम तनु बलधारी ॥

स्वर्ग द्वार की करें पहरे दारी ।

सेवक इंद्र देव के आज्ञाकारी ॥

यक्ष यक्षणी की है सेना भारी ।

सेनापति बने युद्ध में धनुधारी ॥

महा योद्धा बन शस्त्र धारैं ।

युद्ध करैं शत्रु को मारैं ॥

सदा विजयी कभी ना हारैं ।

भगत जनों के संकट टारैं ॥

प्रपितामह हैं स्वयं विधाता ।

पुलिस्ता वंश के जन्म विख्याता ॥

विश्रवा पिता इडविडा जी माता ।

विभीषण भगत आपके भ्राता ॥

शिव चरणों में जब ध्यान लगाया ।

घोर तपस्या करी तन को सुखाया ॥

शिव वरदान मिले देवत्य पाया ।

अमृत पान करी अमर हुई काया ॥

धर्म ध्वजा सदा लिए हाथ में ।

देवी देवता सब फिरैं साथ में ॥

पीताम्बर वस्त्र पहने गात में ।

बल शक्ति पूरी यक्ष जात में ॥

स्वर्ण सिंहासन आप विराजैं ।

त्रिशूल गदा हाथ में साजैं ॥

शंख मृदंग नगारे बाजैं ।

गंधर्व राग मधुर स्वर गाजैं ॥

चौंसठ योगनी मंगल गावैं ।

ऋद्धि-सिद्धि नित भोग लगावैं ॥

दास दासनी सिर छत्र फिरावैं ।

यक्ष यक्षणी मिल चंवर ढूलावैं ॥

ऋषियों में जैसे परशुराम बली हैं ।

देवन्ह में जैसे हनुमान बली हैं ॥

पुरुषों में जैसे भीम बली हैं ।

यक्षों में ऐसे ही कुबेर बली हैं ॥

भगतों में जैसे प्रहलाद बड़े हैं ।

पक्षियों में जैसे गरुड़ बड़े हैं ॥

नागों में जैसे शेष बड़े हैं ।

वैसे ही भगत कुबेर बड़े हैं ॥

कांधे धनुष हाथ में भाला ।

गले फूलों की पहनी माला ॥

स्वर्ण मुकुट अरु देह विशाला ।

दूर-दूर तक होए उजाला ॥

कुबेर देव को जो मन में धारे ।

सदा विजय हो कभी न हारे ॥

बिगड़े काम बन जाएं सारे ।

अन्न धन के रहें भरे भण्डारे ॥

कुबेर गरीब को आप उभारैं ।

कुबेर कर्ज को शीघ्र उतारैं ॥

कुबेर भगत के संकट टारैं ।

कुबेर शत्रु को क्षण में मारैं ॥

शीघ्र धनी जो होना चाहे ।

क्युं नहीं यक्ष कुबेर मनाएं ॥

यह पाठ जो पढ़े पढ़ाएं ।

दिन दुगना व्यापार बढ़ाएं ॥

भूत प्रेत को कुबेर भगावैं ।

अड़े काम को कुबेर बनावैं ॥

रोग शोक को कुबेर नशावैं ।

कलंक कोढ़ को कुबेर हटावैं ॥

कुबेर चढ़े को और चढ़ादे ।

कुबेर गिरे को पुन: उठा दे ॥

कुबेर भाग्य को तुरंत जगा दे ।

कुबेर भूले को राह बता दे ॥

प्यासे की प्यास कुबेर बुझा दे ।

भूखे की भूख कुबेर मिटा दे ॥

रोगी का रोग कुबेर घटा दे ।

दुखिया का दुख कुबेर छुटा दे ॥

बांझ की गोद कुबेर भरा दे ।

कारोबार को कुबेर बढ़ा दे ॥

कारागार से कुबेर छुड़ा दे ।

चोर ठगों से कुबेर बचा दे ॥

कोर्ट केस में कुबेर जितावै ।

जो कुबेर को मन में ध्यावै ॥

चुनाव में जीत कुबेर करावैं ।

मंत्री पद पर कुबेर बिठावैं ॥

पाठ करे जो नित मन लाई ।

उसकी कला हो सदा सवाई ॥

जिसपे प्रसन्न कुबेर की माई ।

उसका जीवन चले सुखदाई ॥

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जो कुबेर का पाठ करावै ।

उसका बेड़ा पार लगावै ॥

उजड़े घर को पुन: बसावै ।

शत्रु को भी मित्र बनावै ॥

सहस्त्र पुस्तक जो दान कराई ।

सब सुख भोद पदार्थ पाई ॥

प्राण त्याग कर स्वर्ग में जाई ।

मानस परिवार कुबेर कीर्ति गाई ॥

॥ दोहा ॥

शिव भक्तों में अग्रणी, श्री यक्षराज कुबेर ।

हृदय में ज्ञान प्रकाश भर, कर दो दूर अंधेर ॥

कर दो दूर अंधेर अब, जरा करो ना देर ।

शरण पड़ा हूं आपकी, दया की दृष्टि फेर ॥

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कुबेर चालीसा क्या है?

कुबेर जी एक यक्ष है | इन्हें शास्त्रों में रावण के भाई के रूप में दिखाया गया है | किसी भी चालीसा को भगवान को प्रसन्न करने के लिए बनाया गया है इसी प्रकार कुबेर चालीसा के माध्यम से यक्ष कुबेर को प्रसन्न  किया जाता है | इस चालीसा में में चौवालीस चौपाई हैं | जिस में कुबेर जी से पाठ करने वाले पर कृपा करने की प्रार्थना की गयी है |

कुबेर जी की पूजा कब करना अत्यंत फलदायी माना गया है?

यदि कोई भी पूजा विधि पूर्वक की जाए तो वह अधिक तथा जल्दी फलदायी होती है | कुबेर जी की पूजा एक नियम के अनुसार सूर्योदय के समय करनी चाहिए यह सप्ताह के किसी भी दिन से शुरू की जा सकती है परन्तु दीपावली के दिन की गयी कुबेर पूजा बहुत ही फलदायी मानी गयी |

कुबेर चालीसा पढ़ने के क्या लाभ हैं?

कुबेर को धन का देवता माना गया है यदि आपको धनवान बनना है तो आपको कुबेर जी की उपासना अवश्य करनी चाहिए | भगवान कुबेर को भगवान शिव का परम सेवक भी माना जाता है इसलिए कुबेर जी के प्रसन्न  होने पर महादेव भी प्रसन्न होते हैं तथा भगवान कुबेर की आराधना करने वालों पर माँ लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहती है जिससे व्यक्ति के जीवन में धन धान्य का कभी अभाव नहीं होता |

कुबेर चालीसा का पाठ करने पर आपके पारिवारिक जीवन में समृद्धि तथा खुशियां आती हैं एवं प्रभु की आराधना सही तरीके से करने पर भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं | 

इसके अतिरिक्त कुबेर जी की आराधना करने से व्यक्ति के जीवन से गरीबी का नामो निशान मिट जाता है तथा जीवन में सुख-शांति, वैभव और समृद्धि का आगमन होता है | घर में खुशहाली के साथ समाज में भी मान-सम्मान बढ़ता है एवं सभी लोग आपको आदर भाव से देखते हैं |

कुबेर जी की पूजा करने की सही विधि क्या हैं?

कुबेर जी की पूजा को यदि सही विधि से किया जाए तो भगवान कुबेर जल्दी प्रसन्न होते हैं तथा उनकी कृपा हमेशा बरसती रहती है | 

सूर्योदय के समय नित्यक्रिया तथा स्नान आदि से निवृत्त होकर अपने पूजा स्थल पर पूरब दिशा की तरफ बैठ जाएं तत्पश्चात कुबेर जी, गणेश जी तथा माँ लक्ष्मी की मूर्ति को स्वच्छ स्थान पर स्थापित करें | अगर आपके मंदिर में पहले से ही प्रभु की तस्वीर हैं तो उन पर गंगाजल से छींटे डालकर स्नान करवाएं | अगर आप प्रभु की प्रतिमा स्थापित कर रहे हैं तो पहले लाल कपड़ा बिछाकर उस पर फूल रखें तत्पश्चात स्थापित करें |  

अब कुबेर जी के सामने अपने आभूषण, गहने तथा कीमती वस्तुएं रखें अब सबसे पहले भगवान गणेश को प्रणाम करें तत्पश्चात भगवान कुबेर तथा देवी लक्ष्मी का ध्यान करें | अब कुबेर जी का संकल्प लें तथा फूल, अक्षत, चन्दन, रोली तथा धूप आदि अर्पित करें और स्वादिष्ट मिठाइयों का भोग लगाएं | सच्चे मन से कुबेर जी का ध्यान करते हुए कुबेर चालीसा का पाठ करें और अंत में अपनी मनोकामना कहें और उनसे मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना करें |

अंत में प्रभु से पूजा में अगर कोई गलती हुई तो उसके लिए क्षमा प्रार्थना करें और कृपा बरसाने का आग्रह करें |

कुबेर जी की पूजा का संकल्प कैसे लें?

कुबेर जी की पूजा शुरू करने से पहले संकल्प जरूर लें। संकल्प करने के लिए सबसे पहले हाथों में जल, फूल व चावल के कुछ दाने लें । सकंल्प में जिस दिन पूजन कर रहे हैं उस वर्ष, उस वार, तिथि उस जगह और अपने नाम को लेकर अपनी इच्छा बोलें। अब हाथों में लिए गए जल, चावल तथा फूल को जमीन पर छोड़ दें।

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