विन्ध्येश्वरी स्तोत्र के लाभ और जानें पूजा विधि
विन्ध्येश्वरी स्तोत्र को सच्चे मन के साथ और माता का ध्यान करते हुए पढ़ने से निश्चित ही आपके जीवन में धन धान्य और कीर्ति में बढ़ोतरी होती है तथा सभी कष्ट दूर हो जाते हैं | साथ ही आप विन्ध्येश्वरी चालीसा करते हैं तो आप पर माँ की कृपा हमेशा बनी रहती है | यदि आप विन्ध्येश्वरी स्तोत्र हिंदी में पढ़ना चाहते है तो आप यहाँ पढ़ सकते हैं |
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निशुम्भ शुम्भ गर्जनी, प्रचण्ड मुण्ड खण्डिनी ।
बनेरणे प्रकाशिनी, भजामि विन्ध्यवासिनी ॥
त्रिशूल मुण्ड धारिणी, धरा विघात हारिणी ।
गृहे-गृहे निवासिनी, भजामि विन्ध्यवासिनी ॥
दरिद्र दुःख हारिणी, सदा विभूति कारिणी ।
वियोग शोक हारिणी, भजामि विन्ध्यवासिनी ॥
लसत्सुलोल लोचनं, लतासनं वरप्रदं ।
कपाल-शूल धारिणी, भजामि विन्ध्यवासिनी ॥
कराब्जदानदाधरां, शिवाशिवां प्रदायिनी ।
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वरा-वराननां शुभां, भजामि विन्ध्यवासिनी ॥
कपीन्द्न जामिनीप्रदां, त्रिधा स्वरूप धारिणी ।
जले-थले निवासिनी, भजामि विन्ध्यवासिनी ॥
विशिष्ट शिष्ट कारिणी, विशाल रूप धारिणी ।
महोदरे विलासिनी, भजामि विन्ध्यवासिनी ॥
पुंरदरादि सेवितां, पुरादिवंशखण्डितम् ।
विशुद्ध बुद्धिकारिणीं, भजामि विन्ध्यवासिनीं ॥
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विन्ध्येश्वरी स्त्रोत पढ़ने से क्या लाभ हैं?
विन्ध्येश्वरी स्त्रोत का पाठ नियमित रूप से करने के अद्भुत लाभ है, इस स्त्रोत का नियमित पाठ करने से जातक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और आप अपने शत्रुओं के ऊपर विजय प्राप्त कर सकते है तथा आपका पक्ष मजबूत रहता है |
- इस स्त्रोत के पाठ से व्यक्ति के आत्मविश्वास में वृद्धि होती है और आपको सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
- विन्ध्येश्वरी स्त्रोत का पाठ करने से जीवन में बुरी तथा नकारात्मक शक्तियों से छुटकारा मिल जाता है, साथ ही सभी बुरी शक्तियाँ आपके परिवार से दूर रहती हैं ।
- विन्ध्येश्वरी स्त्रोत का नियमित पाठ करने से आर्थिक लाभ की प्राप्ति होती है |
- ऐसी भी मान्यता है कि विन्ध्येश्वरी स्त्रोत का नियमित पाठ कर व्यक्ति अपनी खोयी हुई सुख, संपत्ति, सम्मान और ऐश्वर्य भी वापस प्राप्त कर सकता है।
विन्ध्येश्वरी स्त्रोत पढ़ने की सही विधि क्या है?
विन्ध्येश्वरी स्त्रोत का पाठ करने के लिए सबसे पहले सूर्योदय से पूर्व स्नान करके साफ कपड़े धारण करने चाहिए । एक लकड़ी की चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछा लें | उसके बाद आप उस पर माँ की तस्वीर रखें | यह आप अपने घर के मंदिर में ही करें |
उसके बाद सबसे पहले माता विन्ध्येश्वरी की फूल, रोली, धूप, दीप से सामर्थ्यानुसार पूजा अर्चना करें। पूजा के दौरान विंध्येश्वरी माता का ध्यान श्रद्धा से करें, यह आपके लिए लाभकारी साबित होगा । अब विन्ध्येश्वरी स्त्रोत का पाठ आरंभ करें।
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