रक्षाबंधन की कहानी | raksha bandhan story, vidhi, shubh muhurat

भाई-बहन का रिश्ता सबसे अनोखा होता है। इसमें रूठना-मनाना, एक-दूसरे का साथ देना, पापा की डांट हो या मम्मी की मार इनसे एक-दूसरे को बचाना आदि। इन सबकी झलक इस रिश्ते में मिलती है। भाई-बहन के प्यार को दर्शाता है रक्षाबंधन का त्योहार। हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है। बहन इस दिन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है और बदले में भाई अपनी बहन की सदैव रक्षा करने का वचन देता है।

रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त

रक्षाबंधन सावन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है | पंचांग के मुताबिक साल 2022 में रक्षाबंधन 11 अगस्त, गुरुवार को मनाया जाएगा | पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 11 अगस्त को सुबह 10 बजकर 38 मिनट से होगी | वहीं पूर्णिमा तिथि का समापन 12 अगस्त, शुक्रवार को सुबह 7 बजकर 05 मिनट पर होगा | रक्षा बंधन पर सुबह 9 बजकर 28 मिनट से रात 9 बजकर 14 मिनट तक बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांध सकती है |

रक्षाबंधन का महत्व

रक्षाबंधन का पर्व विशेष रूप से भावनाओं का त्योहार है |  एक ऐसा बंधन जो दो जनों को स्नेह के धागे से बांधता है | रक्षा बंधन को भाई – बहन तक ही सीमित रखना सही नहीं होगा. बल्कि ऐसा कोई भी बंधन जो किसी को भी बांध सकता है | भाई – बहन के रिश्तों की सीमाओं से आगे बढ़ते हुए यह बंधन एक भाई का दूसरे भाई को, बहनों को आपस में राखी बांधना और दो मित्रों का एक-दूसरे को राखी बांधना, माता-पिता का संतान को राखी बांधना हो सकता है | 

रक्षाबंधन में केवल बहन का रिश्ता स्वीकारा नहीं है अपितु राखी का अर्थ है, यह श्रद्धा व विश्वास का धागा बांधता है | वह राखी बंधवाने वाले व्यक्ति के दायित्वों को स्वीकार करता है | उस रिश्ते को पूरी निष्ठा से निभाने की कोशिश करता है | 

रक्षाबंधन की कहानी (raksha bandhan story)

हिन्दू मान्यताओं के अनुसार जब राजा बलि ने अश्वमेध यज्ञ करवाया था तब भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर राजा बलि से तीन पग धरती दान में मांग ली थी। राजा ने तीन पग धरती देने के लिए हां बोल दिया था। राजा के हां बोलते ही भगवान विष्णु ने आकार बढ़ा कर लिया है और तीन पग में ही पूरी धरती नाप ली है और राजा बलि को रहने के लिए पाताल लोक दे दिया।

तब राजा बलि ने भगवान विष्णु से एक वरदान मांगा कि भगवान मैं जब भी देखूं तो सिर्फ आपको ही देखूं। सोते जागते हर क्षण मैं आपको ही देखना चाहता हूं। भगवान ने राजा बलि को ये वरदान दे दिया और राजा के साथ पाताल लोक में ही रहने लगे।

भगवान विष्णु राजा के साथ रहने की वजह से माता लक्ष्मी चिंतित हो गईं और नारद जी को सारी बात बताई। तब नारद  जी ने माता लक्ष्मी को भगवान विष्णु को वापस लाने का उपाय बताया। नारद जी ने माता लक्ष्मी से कहा कि आप राजा बलि को अपना भाई बना लीजिए और भगवान विष्णु को मांग लीजिए।

नारद जी की बात सुनकर माता लक्ष्मी राजा बलि के पास भेष बदलकर गईं और उनके पास जाते ही रोने लगीं। राजा बलि ने जब माता लक्ष्मी से रोने का कारण पूछा तो मां ने कहा कि उनका कोई भाई नहीं है इसलिए वो रो रही हैं। राजा ने मां की बात सुनकर कहा कि आज से मैं आपका भाई हूं। माता लक्ष्मी ने तब राजा बलि को राखी बांधी और उनके भगवान विष्णु को मांग लिया है। ऐसा माना जाता है कि तभी से भाई- बहन का यह पावन पर्व मनाया जाता है।

राखी बांधने की विधि

  • सबसे पहले बहनें भाई की कलाई पर राखी बांधने तक व्रत रखें।
  • बहनें भाई को राखी बांधने से पहले रोली चावल का टीका लगाए | 
  • ध्यान रखें कि राखी बंधवाते समय भाई का मुख पूरब दिशा की तरफ और बहन का मुख पश्चिम दिशा की तरफ होना चाहिए। 
  • फिर बहने घी के दीपक से भाई की आरती उतारे तथा फिर आंखें बंद करके भाई की लंबी उम्र की प्रार्थना करें | 
  • आखिर में भाई को मिठाई खिलाकर उसका मुंह मीठा करवाएं | 
  • अगर बहन बड़ी है तो भाई को उसके पैर छूकर आशीर्वाद लेना चाहिए और अगर भाई बड़ा है तो बहन ऐसा करे |

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