हनुमान वडवानल स्त्रोत का पाठ करने के लाभ, सही विधि तथा महत्त्व

हनुमान वडवानल स्तोत्र (Hanuman Vadvanal Stotra) की रचना विभीषण द्वारा की गयी थी जो की भगवान राम व हनुमान जी के अनन्य भक्त थे | यह स्त्रोत हनुमान जी की उपासना करने का एक महामंत्र है यदि इसके साथ हनुमान चालीसा का पाठ भी किया जाए तो अविश्वसनीय रूप से फलदायी होता है | 

विभीषण ने सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति एवं सुरक्षा के लिए इस ‘हनुमान वडवानल स्तोत्र’ की रचना करी। इस दिव्य वडवानल स्तोत्र पर श्री राम, हनुमान जी के आशीर्वाद के साथ साथ विभीषण जी का तपोबल भी सम्मिलित है। अत: इस प्रभावशाली स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति सुरक्षित तथा भय से भी मुक्त महसूस करता है साथ ही उसकी इच्छा की भी पूर्ति होती है।

इस स्तोत्र के प्रारंभ में हनुमान जी के गुणों तथा शक्तियों की जबरदस्त प्रशंसा की गयी है। फिर हनुमान जी से जीवन से सभी रोगों, खराब स्वास्थ्य और सभी प्रकार की परेशानियों को दूर करने का अनुरोध किया गया है। इसके अतिरिक्त हनुमान जी से सभी प्रकार के भय, परेशानी से रक्षा करने और सभी बुरी आदतों से मुक्त करने का अनुरोध किया गया है। अंत में हनुमान जी से आशीर्वाद, तथा अपने जीवन में सफलता, स्वास्थ्य तथा हर इच्छित वर, देने का अनुरोध किया गया है।

यह वडवानल स्तोत्र बहुत ही शुभ और प्रबल है। कोई भी जातक इस स्तोत्र का प्रतिदिन एकाग्रता से पाठ करके जीवन में सभी इच्छित चीजें प्राप्त कर सकता है।

hanuman vadvanal stotra – पढ़ें हनुमान वडवानल स्त्रोत और पाएं लाभ तथा कितने दिनों तक करना चाहिए पाठ

hanuman vadvanal stotra lyrics

— विनियोग —

ॐ अस्य श्री हनुमान् वडवानल-स्तोत्र-मन्त्रस्य श्रीरामचन्द्र ऋषिः,
श्रीहनुमान् वडवानल देवता, ह्रां बीजम्, ह्रीं शक्तिं, सौं कीलकं,
मम समस्त विघ्न-दोष-निवारणार्थे, सर्व-शत्रुक्षयार्थे

सकल-राज-कुल-संमोहनार्थे, मम समस्त-रोग-प्रशमनार्थम्
आयुरारोग्यैश्वर्याऽभिवृद्धयर्थं समस्त-पाप-क्षयार्थं
श्रीसीतारामचन्द्र-प्रीत्यर्थं च हनुमद् वडवानल-स्तोत्र जपमहं करिष्ये।

— ध्यान —

मनोजवं मारुत-तुल्य-वेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठं।
वातात्मजं वानर-यूथ-मुख्यं श्रीरामदूतम् शरणं प्रपद्ये।।

ॐ ह्रां ह्रीं ॐ नमो भगवते श्रीमहा-हनुमते प्रकट-पराक्रम
सकल-दिङ्मण्डल-यशोवितान-धवलीकृत-जगत-त्रितय

वज्र-देह रुद्रावतार लंकापुरीदहय उमा-अर्गल-मंत्र
उदधि-बंधन दशशिरः कृतान्तक सीताश्वसन वायु-पुत्र

अञ्जनी-गर्भ-सम्भूत श्रीराम-लक्ष्मणानन्दकर कपि-सैन्य-प्राकार
सुग्रीव-साह्यकरण पर्वतोत्पाटन कुमार-ब्रह्मचारिन् गंभीरनाद

सर्व-पाप-ग्रह-वारण-सर्व-ज्वरोच्चाटन डाकिनी-शाकिनी-विध्वंसन
ॐ ह्रां ह्रीं ॐ नमो भगवते महावीर-वीराय सर्व-दुःख निवारणाय

ग्रह-मण्डल सर्व-भूत-मण्डल सर्व-पिशाच-मण्डलोच्चाटन
भूत-ज्वर-एकाहिक-ज्वर, द्वयाहिक-ज्वर, त्र्याहिक-ज्वर

चातुर्थिक-ज्वर, संताप-ज्वर, विषम-ज्वर, ताप-ज्वर,
माहेश्वर-वैष्णव-ज्वरान् छिन्दि-छिन्दि यक्ष ब्रह्म-राक्षस
भूत-प्रेत-पिशाचान् उच्चाटय-उच्चाटय स्वाहा।

ॐ ह्रां ह्रीं ॐ नमो भगवते श्रीमहा-हनुमते
ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रैं ह्रौं ह्रः आं हां हां हां हां

ॐ सौं एहि एहि ॐ हं ॐ हं ॐ हं ॐ हं
ॐ नमो भगवते श्रीमहा-हनुमते श्रवण-चक्षुर्भूतानां

शाकिनी डाकिनीनां विषम-दुष्टानां सर्व-विषं हर हर
आकाश-भुवनं भेदय भेदय छेदय छेदय मारय मारय

शोषय शोषय मोहय मोहय ज्वालय ज्वालय
प्रहारय प्रहारय शकल-मायां भेदय भेदय स्वाहा।

ॐ ह्रां ह्रीं ॐ नमो भगवते महा-हनुमते सर्व-ग्रहोच्चाटन
परबलं क्षोभय क्षोभय सकल-बंधन मोक्षणं कुर-कुरु

शिरः-शूल गुल्म-शूल सर्व-शूलान्निर्मूलय निर्मूलय
नागपाशानन्त-वासुकि-तक्षक-कर्कोटकालियान्
यक्ष-कुल-जगत-रात्रिञ्चर-दिवाचर-सर्पान्निर्विषं कुरु-कुरु स्वाहा।

ॐ ह्रां ह्रीं ॐ नमो भगवते महा-हनुमते
राजभय चोरभय पर-मन्त्र-पर-यन्त्र-पर-तन्त्र

पर-विद्याश्छेदय छेदय सर्व-शत्रून्नासय
नाशय असाध्यं साधय साधय हुं फट् स्वाहा।

हनुमान वडवानल स्तोत्र से सम्बंधित प्रश्न !!

Ques – हनुमान वडवानल स्तोत्र के रचयिता कौन हैं ?

Ans – महाराज विभीषण ने हनुमान जी की स्तुति करने के लिए इस हनुमान वडवानल स्तोत्र स्तोत्र की रचना की थी ।

Ques – हनुमान वडवानल स्तोत्र के पाठ से क्या लाभ होते हैं ? | hanuman vadvanal stotra benefits

Ans – हनुमान वडवानल स्तोत्र एक बहुत ही शक्तिशाली स्त्रोत है इसे पढ़ने मात्र से ही पाठक का जीवन बदल जाता है जीवन से सभी प्रकार की नकारात्मकता दूर हो जाती है इसके बहुत सारे अन्य फायदे भी हैं जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं | 

  • हनुमान वडवानल स्तोत्र के पाठ से साधक में एक शक्ति का संचार होता है जिससे वह आपके हर कार्य को बिना किसी मुश्किल के आत्मविश्वास के साथ सिद्ध कर पाता है | 
  • यह स्तोत्र सभी प्रकार के रोगों का निवारण में तथा साधक को अच्छा स्वास्थ्य प्रदान करता है | 
  • इस स्त्रोत की साधना से आपके सभी शत्रुओं का नाश होता है और यदि किसी के भी द्वारा किये गये पीड़ा कारक कृत्य का भी निवारण करता है | 
  • श्री हनुमान वडवानल स्तोत्र का नित्य प्रति पाठ करने से जीवन की सभी समस्याओं का हल निश्चित मिलता है। 
  • हनुमान वडवानल स्तोत्र का पाठ करने वाले साधक पर हनुमान जी की कृपा तथा उनके साथ-साथ श्री राम जी का आशीर्वाद प्राप्त सदा बना रहता है |
  • इस स्तोत्र के पाठ से साधक की सभी मनोकामनाएं हनुमान जी पूर्ण करते हैं तथा ऐसा भी माना गया है की इस स्त्रोत का पाठ करने वाले को हनुमान जी के दर्शनों का लाभ प्राप्त होता है |

Ques – हनुमान वडवानल स्तोत्र का कितने दिनों तक पाठ करना चाहिए ?

Ans – यदि आप किसी रोग से परेशान हैं या आपको कोई भय सता रहा है अथवा आप बुरी चीजों से मुक्त होना चाहते हैं तो आपको पूर्ण श्रद्धा तथा निर्मल मन के साथ 41 दिनों तक श्री हनुमान वडवानल स्तोत्र का पाठ करना चाहिए इससे आप पर हनुमान जी की कृपा अवश्य होगी तथा आपको लाभ प्राप्त होगा ।

हनुमान वडवानल स्तोत्र का पाठ यदि आप नियमित रूप से घी अथवा सरसों के तेल से दिए जला कर 21 दिन के लिए करते हैं तो जीवन में आने वाली सभी बाधाओं एवं बुरी आदतों से छुटकारा मिलता है तथा बजरंगबली की असीम कृपा प्राप्त होती है |

Ques – हनुमान वडवानल स्तोत्र का क्या महत्व है ?

Ans – हनुमान वडवानल स्तोत्र एक अत्यंत ही शक्तिशाली हनुमान स्तोत्र है यह मुश्किल से भी मुश्किल परिस्थिति में साधक के आत्मविश्वास को कम नहीं होने देता और हनुमान जी की कृपा दिलाता है | शत्रु तथा नकारात्मक शक्तियां इस स्त्रोत का पाठ करने वाले साधक के निकट भी नहीं भटकती | 

यह हनुमान वडवानल स्तोत्र का पाठ मनुष्य को रोगों से मुक्ति देता है तथा हर परिस्थिति से निपटने का साहस भी प्रदान करता है, कुछ धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह स्त्रोत हर प्रकार के शारीरिक रोगों तथा कष्टों से मुक्ति प्रदान करने में मदद करता है |

Ques – हनुमान वडवानल स्तोत्र का पाठ करने की सही विधि क्या है ?

Ans – सूर्योदय के समय उठकर नित्य क्रिया तथा स्नान से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। अब अपने पूजा स्थल को साफ़ करें । इसके उपरांत हनुमान जी की मूर्ति या चित्र के सामने लाल आसन पर बैठ जायें अगर पूर्वाभिमुख बैठें तो बहुत अच्छा होता है । 

अब सबसे पहले गणेश जी की पूजा-अर्चना करें तत्पश्चात श्रीराम तथा माता सीता की पूजा करें। अब हनुमान जी की पूजा विधि पूर्वक प्रारम्भ करें। इसके लिए सरसों के तेल या घी का दीपक जलाकर हनुमान जी के सम्मुख रखें तथा हनुमान जी के सामने धूप या अगरबत्ती जलाकर पुष्प अर्पण करें इसके बाद “हनुमान वडवानल स्तोत्र” का पाठ 108 बार करें । यह पाठ लगातार 41 दिनों तक करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। इन 41 दिनों तक पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करें तथा सात्विक भोजन ही ग्रहण करें ।

hanuman vadvanal stotra PDF

अगर आप हनुमान वडवानल स्तोत्र को PDF फॉर्मेट में डाउनलोड करना चाहते हैं तो नीचे दिए बटन पर क्लिक करें |

यहाँ पढ़ें हनुमान जी से संबंधित अद्भुत प्रसंग तथा बजरंग बाण | अंत में हम आप सभी से गुजारिश करते हैं कि कृपया आप सभी भक्जन हमारे इस पेज को शेयर करके अनेक लोगों तक पहुंचाए जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग इसका लाभ ले सकें | ( शेयर करने के लिए बटन नीचे अंत में दिए गए हैं | )

जय हनुमान ||

Related Posts: