Hanuman Ashtak Lyrics in Hindi

यदि आप सम्पूर्ण हनुमान अष्टक हिंदी में पढ़ना चाहते है तो आप यहाँ पढ़ सकते हैं | साथ ही साथ आप हनुमान अष्टक की pdf को अपने फ़ोन तथा कंप्यूटर पर भी डाउनलोड कर सकते है।

संकटमोचन हनुमान अष्टक तथा हनुमान चालीसा लिरिक्स इन हिंदी को शांत मन के साथ, अपने आप को प्रभु के चरणों में समर्पित करते हुए पढ़ने से निश्चित ही धन धान्य, कीर्ति में बढ़ोतरी होती है तथा भय का नाश होता है | इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा शेयर करके पुण्य के भागी बनें तथा दूसरों को भी इसका लाभ लेने का मौका अवश्य दें |

बाल समय रबि भक्षि लियो तब, तीनहुं लोक भयो अंधियारो ।
ताहि सों त्रास भयो जग को, यह संकट काहु सों जात न टारो ॥

देवन आन करि बिनती तब, छांड़ि दियो रबि कष्ट निवारो ।
को नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥

बालि की त्रास कपीस बसै गिरि, जात महाप्रभु पंथ निहारो ।
चौंकि महा मुनि शाप दिया तब, चाहिय कौन बिचार बिचारो ॥

के द्विज रूप लिवाय महाप्रभु, सो तुम दास के शोक निवारो ।
को नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥

अंगद के संग लेन गये सिय, खोज कपीस यह बैन उचारो ।
जीवत ना बचिहौ हम सो जु, बिना सुधि लाय इहाँ पगु धारो ॥

हेरि थके तट सिंधु सबै तब, लाय सिया-सुधि प्राण उबारो ।
को नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥

रावन त्रास दई सिय को सब, राक्षसि सों कहि शोक निवारो ।
ताहि समय हनुमान महाप्रभु, जाय महा रजनीचर मारो ॥

चाहत सीय अशोक सों आगि सु, दै प्रभु मुद्रिका शोक निवारो ।
को नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥

बाण लग्यो उर लछिमन के तब, प्राण तजे सुत रावण मारो ।
लै गृह बैद्य सुषेन समेत, तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो ॥

आनि सजीवन हाथ दई तब, लछिमन के तुम प्राण उबारो ।
को नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥

रावण युद्ध अजान कियो तब, नाग कि फांस सबै सिर डारो ।
श्रीरघुनाथ समेत सबै दल, मोह भयोयह संकट भारो ॥

आनि खगेस तबै हनुमान जु, बंधन काटि सुत्रास निवारो ।
को नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥

बंधु समेत जबै अहिरावन, लै रघुनाथ पाताल सिधारो ।
देबिहिं पूजि भली बिधि सों बलि, देउ सबै मिति मंत्र बिचारो ॥

जाय सहाय भयो तब ही, अहिरावण सैन्य समेत सँहारो ।
को नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥

काज किये बड़ देवन के तुम, वीर महाप्रभु देखि बिचारो ।
कौन सो संकट मोर गरीब को, जो तुमसों नहिं जात है टारो ॥

बेगि हरो हनुमान महाप्रभु, जो कछु संकट होय हमारो ।
को नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥

Credit – T Series

हनुमान अष्टक पढ़ने के क्या लाभ हैं?

हनुमान अष्टक पढ़ने के बहुत लाभ हैं जो की निम्नलिखित हैं |

  • हनुमान अष्टक का नियमित पाठ आपके बड़े से बड़े कष्ट को भी दूर करने की क्षमता रखता है |
  • जीवन में जब कभी बड़े संकट का सामना करना पड़ जाये तो ऐसे में प्रतिदिन 7 बार हनुमान अष्टक पाठ करना चाहिए | ऐसा 21 दिन लगातार करने से आपको लाभ अवश्य मिलेगा |
  • स्वयं के आत्मविश्वास को बल देने हेतु संकट मोचन हनुमान अष्टक का पाठ किया जाना चाहिए |
  • घर से नकारात्मक शक्तियों को दूर करने में हनुमान अष्टक पाठ फायदा करने वाला है |
  • घर में सुख-शांति व हनुमान जी कृपा प्राप्ति हेतु हनुमान अष्टक पाठ नियमित रूप से करना चाहिए |

हनुमान अष्टक पाठ की पूजन विधि क्या है?

हनुमान अष्टक का पाठ करने के लिए नित्य कर्म तथा स्नान आदि से निवृत्त होकर आप हनुमान जी तथा श्री राम जी के चित्र के सामने या अपने पूजा घर के सामने आसन लगाकर बैठ जाइए। इसके बाद राम नाम का सुमिरन करके हनुमान चालीसा व हनुमान अष्टक का पाठ शुरू कीजिए।

हनुमान जी को घी या चमेली के तेल का दीपक, लाल पुष्प व भोग के लिए गुड़ चना या बेसन के लड्डू अर्पित कीजिए। इसे आप नियमित या 21 दिन का संकल्प लेकर भी कर सकते हैं।

हनुमान अष्टक के रचयिता कौन हैं?

हनुमान अष्टक की रचना पंडित गोस्वामी तुलसीदास जी ने की है। इसमें 8 पद है इसलिए इसे संकट मोचन हनुमान अष्टक के नाम से जाना जाता है।

यहाँ पढ़ें हनुमान जी के जन्म से संबंधित अद्भुत प्रसंग |