महाशिवरात्रि कथा की पूजा विधि, नियम और फायदे
महाशिवरात्रि की कथा का वर्णन शिव पुराण में मिलता है | इस कथा के अनुसार पुरातन काल में एक शिकारी था, जिसका नाम चित्रभानु था | यह शिकारी एक साहूकार का कर्जदार था | कर्ज न दे पाने के की स्थिति में साहूकार ने उसे एक शिव मठ में बंदी बना लिया था | संयोग से जिस दिन बंदी बनाया था उस दिन महाशिवरात्रि थी | साहूकार ने इस दिन अपने घर में पूजा का आयोजन किया | पूजा के बाद कथा का पाठ किया गया | शिकारी भी पूजा और कथा में बताई गई बातों को ध्यान से सुनता रहा |
यदि आप शिव चालीसा लिरिक्स इन हिंदी भी साथ पढ़ते हो तो आपको बहुत अधिक लाभ प्राप्त होता है |
पूजा समाप्त होने के बाद साहुकार ने शिकारी को अपने पास बुलाया और उससे अगले दिन ऋण चुकाने की बात कही | इस पर शिकारी सहमत हो गया | साहुकार ने उसे मुक्त कर दिया | शिकारी जंगल में शिकार के लिए चला गया | शिकार की खोज में उसे रात हो गई | जंगल में ही उसने रात बिताई | शिकारी एक तालाब के किनारे एक बेल के पेड़ पर चढ़ कर रात बिताने लगा | बेलपत्र के पेड़ नीचे एक शिवलिंग था, जो बेलपत्रों से ढक चुका था | इस बात का शिकारी को कुछ भी पता नहीं था |
आराम करने के लिए उसने बेलपत्र की कुछ सखाएं तोड़ीं, इस प्रक्रिया में कुछ बेलपत्र की पत्तियां शिवलिंग पर गिर पड़ी | शिकारी भूखा प्यास उसी स्थान पर बैठा रहा | इस प्रकार से शिकारी का व्रत हो गया | तभी गर्भिणी हिरणी तालाब पर पानी पीने के लिए आई | हिरणी को शिकारी ने जाने दिया शिकारी ने धनुष पर तीर चढ़ाकर हिरणी को मारने की जैसी ही कोशिश की वैसे ही हिरणी बोली मैं गर्भ से हूं, शीघ्र ही बच्चे को जन्म दूंगी | तुम एक साथ दो जीवों की हत्या करोगे? यह उचित नहीं होगा | मैं अपने बच्चे को जन्म देकर शीघ्र ही तुम्हारे पास आ जाऊंगी, तब तुम मेरा शिकार कर लेना | शिकारी ने तीर वापिस रख लिया | हिरणी भी वहां से चली गई | धनुष रखने में कुछ बेलपत्र पुन: टूटकर शिवलिंग पर गिर गए |इस प्रकार उससे अनजाने में ही प्रथम प्रहर की पूजा पूर्ण हो गई | कुछ देर बाद एक ओर हिरणी उधर से निकली |
हिरणी के पास आते ही शिकारी तुरंत ही धनुष पर तीर चढ़ा कर निशाना लगाने लगा | लेकिन तभी हिरणी ने शिकारी से निवेदन किया कि मैं थोड़ी देर पहले ऋतु से निवृत्त हुई हूँ | कामातुर विरहिणी हूँ | अपने प्रिय को खोज रही हूँ मैं अपने पति से मिलकर तुम्हारे पास आ जाऊंगी | शिकारी ने इस हिरणी को भी जाने दिया | अब शिकारी विचार करने लगा |
इसी दौरान रात्रि का आखिरी प्रहर भी बीत गया | इस बार भी उसके धनुष से कुछ बेलपत्र शिवलिंग पर जा गिरे, इस प्रकार उसके द्वारा दूसरे प्रहर की पूजन प्रक्रिया भी पूर्ण हो गई | इसके बाद तीसरी हिरणी दिखाई दी जो अपने बच्चों के साथ उधर से गुजर रही थी | शिकारी ने धनुष उठाकर निशाना साधा | शिकारी तीर को छोड़ने वाला ही था कि हिरणी बोली मैं इन बच्चों को इनके पिता को सौंप कर लौट आऊंगी | मुझे अभी जानें दें | शिकारी ने ऐसा करने से इनकार कर दिया | उसने बताया कि दो हिरणी को मैं छोड़ चुका हूँ | हिरणी ने कहा कि शिकारी मेरा विश्वास करों, मै वापिस आने का वचन देती हूं |
शिकारी को जब हिरणी पर दया आ गई और उसे भी जाने दिया | उधर भूखा प्यासा शिकारी अनजाने में बेल की पत्तियां तोड़कर शिवलिंग पर फेंकता रहा | सुबह की पहली किरण निकली तो उसे एक हिरण दिखाई दिया | शिकारी ने खुश होकर अपना तीर धनुष पर चढ़ा लिया, तभी हिरण ने दुखी होकर शिकारी से कहा यदि तुमने मुझसे पूर्व आने वाली तीन हिरणियों और बच्चों को मार डाला है, तो मुझे भी मार दो | बिल्कुल भी देर न करो क्योंकि मैं यह दुख सहन नहीं कर सकता हूँ | मैं उन हिरणियों का पति हूं | यदि तुमने उन्हें जीवनदान दिया है तो मुझे भी छोड़ दो | मैं अपने परिवार से मिलकर वापस आ जाऊंगा | शिकारी ने उसे भी जाने दिया | सूर्य पूरी तरह से निकल आया था और सुबह हो चुकी थी | शिकारी से अनजाने में ही व्रत, रात्रि-जागरण, सभी प्रहर की पूजा और शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी थी | भगवान शिव की कृपा से उसे इसका फल तुरंत प्राप्त हुआ |
अन्य सभी देवी देवताओं के बारे में पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें
भगवान शिव की कृपा से शिकारी का हृदय बदल गया शिकारी का मन निर्मल हो गया | कुछ देर बाद ही शिकारी के सामने संपूर्ण हिरण परिवार मौजूद था | ताकि शिकारी उनका शिकार कर सके | लेकिन शिकारी ने ऐसा नहीं किया और सभी को जाने दिया | महाशिवरात्रि के दिन शिकारी द्वारा पूजन की विधि पूर्ण करने के कारण उसे मोक्ष प्राप्त हुआ | शिकारी की मृत्यु होने पर यमदूत उसे लेने आए तो शिवगणों ने उन्हें वापिस भेज दिया | शिवगण शिकारी को लेकर शिवलोक आ गए | भगवान शिव की कृपा से ही अपने इस जन्म में राजा चित्रभानु स्वयं के पिछले जन्म को याद रख पाए और महाशिवरात्रि के महत्व को जानकर उनका अगले जन्म में भी पालन कर पाए |
महाशिवरात्रि के दिन शिव की पूजा कैसे करें?
- सबसे पहले आप सुबह स्नान कर लें तथा उसके बाद पूजा करना आरंभ करें |
- फिर आप शिव की पूजा का संकल्प लें और पूजा को किसी भी समय कर सकते हैं |
- इसके बाद आप शिवलिंग पर बेलपत्र, फूल, फल आदि चढ़ाएं |
- फिर आप ॐ नमः शिवाय का जाप 108 बार करें |
- शिव को प्रसन्न करने के लिए आप रुद्राष्टकम और शिव स्तुति का पाठ जरूर करें |
महाशिवरात्रि के व्रत के नियम क्या हैं?
- इस दिन खाने में नमक का सेवन नहीं करना होता है | अगर फल में नमक लगाना है तो आप उसमें लगा सकते है |
- व्रत करने वाले व्यक्ति को दिन में निद्रा नहीं लेनी चाहिए | इस दिन आपको शिव का भजन करना चाहिए |
- शिव को आप अपनी इच्छा अनुसार कोई भी फल या कोई भी मिठाई का भोग लगा सकते है |
- आप दिन में चाय, दूध और फल आदि का सेवन कर सकते हैं।
- महाशिवरात्रि के दिन गेहूं, चावल आदि से बनी चीजों का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए।
महाशिवरात्रि व्रत के फायदे क्या हैं?
- महाशिवरात्रि का व्रत करने से शिव का कृपा आप पर बरसती है |
- जीवन में आपको हमेशा सफलता की प्राप्ति होती हैं |
- परिवार में सुख समृद्धि बनी रहती हैं |
- महादेव की अगर आप सच्चे मन से पूजा करते है तो आपकी हर मनोकामना पूरी होती है |
- शिव अपने भक्तों को कभी दुखी नहीं होने देते हैं |
अगर आपको BHAKTIPUJAHINDI.COM (Website) में पढ़ना अच्छा लगता है तो आप इसे सभी भक्जन SHARE करके अनेक लोगों तक पहुंचाए जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग इसका लाभ ले सकें |