Hariyali Teej: हरियाली तीज की व्रत कथा, पूजा विधि, नियम और महत्व

शिवजी कहते हैं कि हे पार्वती ! बहुत समय पहले तुमने हिमालय पर मुझे पति के रूप में पाने के लिए घोर तप किया था। इस दौरान तुमने अन्न-जल त्याग कर सूखे पत्ते चबाकर दिन व्यतीत किए थे। किसी भी मौसम की परवाह किए बिना तुमने निरंतर तप किया। तुम्हारी इस स्थिति को देखकर तुम्हारे पिता बहुत दुखी थे। ऐसी स्थिति में नारदजी तुम्हारे घर पधारे।

जब तुम्हारे पिता ने नारदजी से उनके आगमन का कारण पूछा, तो नारद जी बोले- हे गिरिराज ! मैं भगवान विष्णु के भेजने पर यहां आया हूँ। आपकी कन्या की घोर तपस्या से प्रसन्न होकर वह उससे विवाह करना चाहते हैं। इस बारे में मैं आपकी राय जानना चाहता हूँ।

नारदजी की बात सुनकर पर्वतराज अति प्रसन्नता के साथ बोले- हे नारदजी। यदि स्वयं भगवान विष्णु मेरी कन्या से विवाह करना चाहते हैं, तो इससे बड़ी कोई बात नहीं हो सकती। मैं इस विवाह के लिए तैयार हूं।’

फिर शिवजी पार्वती जी से कहते हैं- तुम्हारे पिता की स्वीकृति पाकर नारद जी, विष्णु जी के पास गए और यह शुभ समाचार सुनाया। लेकिन जब तुम्हें इस विवाह के बारे में पता चला तो तुम्हें बहुत दुख हुआ। तुम मुझे यानि कैलाशपति शिव को मन ही मन अपना पति मान चुकी थी।

तुमने अपने व्याकुल मन की बात अपनी सहेली को बताई। तुम्हारी सहेली ने सुझाव दिया कि मै तुम्हें एक घनघोर वन में ले जाकर छुपा दूँगी और वहां रहकर तुम शिवजी को प्राप्त करने की साधना करना। इसके बाद तुम्हारे पिता तुम्हें घर में न पाकर बड़े चिंतित और दुखी हुए। वह सोचने लगे कि यदि विष्णु जी बारात लेकर आ गए और तुम घर पर ना मिली तो क्या होगा। उन्होंने तुम्हारी खोज में धरती-पाताल एक करवा दिए लेकिन तुम फिर भी ना मिली।

तुम वन में एक गुफा के भीतर मेरी आराधना में लीन थी। भाद्रपद तृतीय शुक्ल को तुमने रेत से एक शिवलिंग का निर्माण कर मेरी आराधना की जिससे प्रसन्न होकर मैंने तुम्हारी मनोकामना पूर्ण की। इसके बाद तुमने अपने पिता से कहा कि पिताजी, मैंने अपने जीवन का लंबा समय भगवान शिव की तपस्या में बिताया है और भगवान शिव ने मेरी तपस्या से प्रसन्न होकर मुझे स्वीकार भी कर लिया है। अब मैं आपके साथ एक ही शर्त पर चलूंगी कि आप मेरा विवाह भगवान शिव के साथ ही करेंगे। पर्वतराज ने तुम्हारी इच्छा स्वीकार कर ली और तुम्हें घर वापस ले गए। कुछ समय बाद उन्होंने पूरे विधि-विधान से हमारा विवाह किया।

भगवान शिव ने इसके बाद कहा कि- हे पार्वती ! तृतीया को तुमने मेरी आराधना करके जो व्रत किया था, उसी के परिणाम स्वरूप हम दोनों का विवाह संभव हो सका। इस व्रत का महत्व यह है कि इस व्रत को पूर्ण निष्ठा से करने वाली स्त्री को मै मनोवांछित फल देता हूँ । भगवान शिव ने पार्वती जी से कहा कि इस व्रत को जो भी स्त्री पूर्ण श्रद्धा से करेंगी उसे तुम्हारी तरह अचल सुहाग प्राप्त होगा।

हरियाली तीज का क्या महत्व है?

हरियाली तीज के दिन शिव और पार्वती की पूजा करते हैं ऐसा कहा गया है कि इस दिन शिव और पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था, इसलिए इस हरियाली तीज का व्रत सुहागिन स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु के लिए करती हैं | इस दिन माता पार्वती को श्रृंगार का समान चढ़ाया जाता है | यदि हरियाली तीज का व्रत सच्चे मन से रखा जाये तो परिवार सुख समृद्धि बनी रहती है | यदि इस व्रत को पूरी विधि पूर्वक किया जाये तो इसे बहुत ही फलदायी माना जाता है |

हरियाली तीज 2022 पूजा विधि क्या है?

  • इस दिन आप सुबह उठकर स्नान कर लें और फिर आप नए या स्वच्छ वस्त्र पहनें | 
  • फिर आप मन में शिव और पार्वती के नाम का  जाप करें | 
  • पूजा को आरंभ करने के लिए मिट्टी से शिव, पार्वती और गणेश जी की मूर्ति अपने हाथों से बनाये | 
  • फिर आप पूजा की थाली को सजाएं | 
  • इसके बाद आप शिव, पार्वती और गणेश जी की आरती करें |  
  • फिर आप भगवान शिव और गणेश जी को वस्त्र अर्पित करें | 
  • पार्वती माता को वस्त्र और श्रृंगार सामान अर्पित करें।
  • फिर आप प्रभु से अपने पति की लंबी उम्र की प्रार्थना करें |

हरियाली तीज के व्रत के नियम क्या हैं?

  • हरियाली तीज का व्रत करते समय आप किसी पर भी क्रोध न करें | 
  • इस दौरान दूसरों के प्रति मन में नकारात्मक विचार न लाएं | 
  • व्रत के दौरान किसी का भी अपमान न करें | 
  • मान्यताओं के अनुसार इस व्रत में आप दूध का सेवन न करें | 
  • व्रत वाले दिन आप दिन में न सोये साथ ही शिव और पार्वती माता का जाप जरूर करें |

हरियाली तीज व्रत कथा PDF

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